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में वो किताब हूँ, जिसे पढ़ना सबके बस की बात नहीं
तुम नापोगे समंदर की गहराई को किनारे पर रहकर , अब इतनी तो तुम्हारी औकात नहीं
Source:- pixabay.com ये रोना रुलाना तो यार अपना काम नहीं देवदास नहीं है किसी पारो के, इसलिए हाथों में कोई जाम नहीं
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