Sunday, January 24, 2021

मेहबूब का घर

 Source:- pixbay.com


मेहबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मीन, जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़कर नहीं देखा 

जो कहता था हज़रो तुझ जैसे हैं ज़माने में, उसने भी दोबारा हम सा कोई हमसफ़र नहीं देखा 

No comments:

Post a Comment

ये रोना रुलाना तो यार अपना काम नहीं

 Source:- pixabay.com ये रोना रुलाना तो यार अपना काम नहीं  देवदास नहीं है किसी पारो के, इसलिए हाथों में कोई जाम नहीं