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तक़दीर तो तेरे हाथों में है, इन लकीरों में नहीं
तू बंधा हुआ है अपनी सोच में, इन ज़ंजीरो में नहीं
Source:- pixabay.com ये रोना रुलाना तो यार अपना काम नहीं देवदास नहीं है किसी पारो के, इसलिए हाथों में कोई जाम नहीं
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